यस आई एम— 30
★★★
आधा घंटा लेटने के बाद तृष्णा उठ कर बैठ गई और बैठने के कुछ देर बाद आगे की स्टोरी के बारे में सोचने लगी। कुछ देर तक अपने ही ख्यालों में रहने के बाद तृष्णा खुद से ही प्लॉट के बारे में बातें करती हुई बोली। "अभी तक मैने नॉवेल में जितना कुछ लिखा है , अगर एक तरह से देखा जाए तो अभी तक मैने जो लिखा है वह लड़की की बैकस्टोरी थी। कैसे वह कैद हुई और कैसे उस कैद से रिहा हुई। अब तक के मर्डर तो उसने बिना किसी अड़चन के कर भी दिए। इन मर्डर की खास बात यह थी कि इन मर्डर के पीछे कुछ ना कुछ कारण जरूर था। पर आगे के मर्डर के लिए मै क्या कारण रखूं , कुछ समझ में नहीं आ रहा और ना ही यह समझ में आ रहा है कि बाकी के लोगों का किस तरीके से मर्डर कराया जाए।" इतना कहते ही तृष्णा झुंझला उठी। उसे समझ नही आ रहा था कि इतना नॉवेल लिखने के बाद वह उसे आगे किस डायरेक्शन में ले जाए, उसके हिसाब से नॉवेल तो अभी आधा भी नही लिखा गया था और वह आधे से पहले ही अटक गई।
अचानक से तृष्णा अपने बेड पर खड़ी होकर पागलों की तरह कूदने लगी। "मिल गया... मिल गया। फाइनली मुझे आगे के लिए प्लॉट मिल गया।" इतना बोलने के बाद कुछ देर तक तो वह इसी तरह कूदती रही और उसके बाद आराम से खड़ी हो गई। फिर बेड के ऊपर से उतर कर कमरे से बाहर चली गई। जब तृष्णा वापिस कमरे लौटी तो उसके एक हाथ में कोल्डड्रिंक की बॉटल थी और दूसरे हाथ में कांच का एक गिलास था। अपनी कुर्सी पर बैठकर के बाद तृष्णा ने कोल्ड ड्रिंक को गिलास में डाला और उसे पीने लगी। कोल्ड पीते वक्त वह बीच ने रुक रुक कर खुद से बात करने लगी।
"तू इस एवर ग्रीन टॉपिक को कैसे भूल सकती है , माना तुझे इस टॉपिक से चिढ़ है। पर तू इस एक टॉपिक की वजह से कितने सारे मर्डर करा सकती है। इसके अलावा मर्डर का इससे बेहतरीन और अनोखा तरीका कुछ भी नही हो सकता। लव एक एवर ग्रीन टॉपिक है जिसे आलू की तरह हर जगह बड़ी आसानी से फीट किया जा सकता है। कोल्ड ड्रिंक लेने मै इसलिए गई थी क्या पता मुझे मर्डर का कोई धांसू सा आइडिया ही मिल जाए और मुझे मिल भी गया,वाह तृष्णा क्या बात है।" तृष्णा ने खुद को शाबाशी देते हुए उस कोल्ड ड्रिंक के गिलास को एक ही सांस में गटक लिया। उस के तुंरत बाद वह अपनी कुर्सी से उठी और अपना लैपटॉप लेकर अपने बेड पर जाकर बैठ गई।
"लिखने के लिए भी क्या क्या करना पड़ता है। मै तब तक सही से नही लिख पाती जब तक मुझे बैठने की कोई अच्छी सी जगह ना मिल जाए। जब तक मेरा बैठने का सही पोस्चर नही बन जाता तब तक मै सही ढंग से नही लिख सकती।" इतनी बात कहने के बाद तृष्णा अपना माथा पीटने लगी और खुद को ही डांटते हुए बोली।
"खैर अब तो बैठने की सही जगह मिल गई मोतरमा, अब तो लिख ले।" इतना कहने के बाद जैसे ही उसने लैपटॉप की विंडो ओपन करने के लिए उसे अपनी गोद में रखने के लिए उठाया वैसे ही उसे लैपटॉप की स्क्रीन पर किसी की परछाई दिखाई दी। पर जब तृष्णा ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे वहां पर कोई भी दिखाई नहीं दिया। यही सिलसिला थोड़ी देर तक चलता रहा। जब तृष्णा यह काम करते करते थक गई तब उसे खिड़की की तरह मुंह करके बैठना ही उचित समझा। उसके बाद उसे वहां पर कोई भी साया दिखाई नही दिया। तृष्णा के चेहरे के भाव से तो यही लग रहा था कि उसे अचानक से हुई इस घटना से उसे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वह उसके चेहरे के भाव सामान्य थे। तृष्णा ने अपने पोस्चर को सही किया और लैपटॉप को उठा कर लिखने किए बैठ गई। वह लैपटॉप में कुछ टाइप करने ही वाली थी पर ये क्या वह टाइप करने की बजाए खुद से ही बात करने लगी।
"रुक तृष्णा! इतनी किस बात की जल्दी है। पहले ढंग से पूरी तरह से सोच तो ले कि तुझे लिखना क्या है?क्योंकि एक बार तू लिखने लगी तो फिर बीच में तो बिल्कुल भी नही रूकने वाली। इस से अच्छा तो यही है कि तू पहले ही सही से आगे क्या लिखना है उसके बारे में सोच ले, रोज रोज दिमाग खराब करने से अच्छा तो यही है कि जितना दिमाग खराब करना है आज ही कर ले।
वैसे तो मुझे लव स्टोरी लिखने में कोई दिलचप्सी नही है मतलब बिल्कुल भी नही है। पर डार्क लव स्टोरी तो सब पसंद करते है। आज तक जितनी भी लव स्टोरीज मैने पढ़ी है उनमें ज्यादतार में लड़के को ही लड़की के पीछे पागल दिखाया गया है और वह लड़का पागलपन में ना जाने क्या क्या कर देता है। थोड़ा सा दिमाग पर जोर लगा कर सोचो अगर कोई लड़की किसी लड़के के पीछे पागल हो जाए। इसके अलावा अगर वह लड़की उस लड़के को पाने के लिए किसी का भी मर्डर कर दे तो क्या होगा? मेरे हिसाब से ऐसी लव स्टोरी हर कोई पसंद करेगा और खास तौर पर तब जब वह लव स्टोरी मेरे लिखे उस कैरेक्टर की हो जिसके अंदर फीलिंग्स नाममात्र के लिए भी नही है। अगर इस लड़की को प्यार हो जाए तो आप खुद सोच सकते हो कि आगे क्या क्या बवाल होगा। मर्डर करने के बाद भी वह लड़की अपनी साइड को इस प्रकार आप लोगों के सामने रखेंगी कि आप लोगों को वह लड़की ही सही लगेगी।" यह इतनी बात कहते ही रुक गई और फिर बोली।
अब क्या पूरा नॉवेल ऐसे ही बोल बोल कर खुद को सुनाने का इरादा है क्या? इतना एक्साइटमेंट भी ठीक नहीं है, इस पर जितना ज्यादा कंट्रोल रखेंगी नॉवेल उतना ज्यादा अच्छा लिखा जाएगा।" इतनी बात कहने के बाद तृष्णा लिखने के लिए बैठ गई।
★★★
वह लड़की खाना खा कर हटी ही थी कि तभी वहां पर उसके दादा जी आ गए और आते ही उस लकड़ी को आवाज लगाने लगे। "पंछी...! अरे ओ पंछी बेटा खाना खा लिया क्या? तुम्हारी ये खाना खाना भूल जाने की आदत से मै बहुत ज्यादा परेशान हूं। मेरे आस पास तो तुम हर वक्त , किसी पंछी की तरह मंडराती हुई ज्ञान देती रहती हो। मेरे लिए तुम इतना कुछ करती हो कभी खुद लिए भी कुछ कर लिया करो। हमेशा मुझे ही याद दिलाना पड़ता है कि खाना भी खाना होता है। पता नही दिन भर क्या करती रहती हो, जो तुम्हें खाना खाने का वक्त भी नही मिलता। हमारा खुद का रेस्टोरेंट है तब इस लड़की का ये हाल है। अगर इसे खुद से खाना बनाना पड़ जाता तो भगवान ही जाने इस लड़की का क्या हाल होता।" लड़की को अपने दादा की आवाज में गुस्सा साफ साफ झलक रहा था। इसके अलावा उसे अच्छे से मालूम था कि उनका गुस्सा कैसे शांत करना है।
अपने दद्दू की आवाज सुनकर वह लड़की तुंरत उनके पास चली गई और उन्हें पानी का गिलास देती हुई बोली। "मुझे बाद में डांट लेना पहले ये पानी का गिलास पी लो। मुझे डांटने के चक्कर में आपका बी पी हाई हो जाना है।" वह आगे कुछ कह पाती उस के दादा उसे बीच में ही टोकते हुए बोले।
"बस करो। मेरी अगर इतनी ही चिंता है तो खाना टाइम से खा लिया करो।" उसके दादा ने यह बात किसी बच्चे की तरह नाराज होते हुए बोली।
अपने दादू की इस तरह की हरकतें देखकर उस लड़की को हंसी आ गई और वह अपनी हंसी पर काबू पाते हुए बोली। "अरे मेरे भोले दद्दू। आप अपनी इस नालायक सी पोती की इतनी परवाह करते है। पहली बात तो टेंशन लेने की कोई जरुरत नहीं है, मैने खाना खा लिया है। इतना हाइपर होने की जरुरत नही, आप के रहते हुए मुझे किसी बात की कोई भी टेंशन नही है।" इतना बोलने के बाद लड़की ने अपने दद्दू को पकड़ कर गोल गोल घुमा दिया। इस तरह से से घूमने की वजह से बुर्जुग व्यक्ति को चक्कर आने लगे। वह लड़की को रोकते हुए बोले।
"मेरी तो उम्र हो गई है, भगवान जाने मै इस दुनिया में कब तक रहूंगा। तुम्हें भी तो अपना ख्याल रखना सीखना होगा।" अपने दद्दू के मुंह से इतनी बात सुनकर लड़की के चेहरे के भाव बदल गए और वह गुस्से में बोली।
"तुम क्या चाहते हो मैं तुम्हें टाइम से पहले ही मार दूं?" इतना कहते ही लड़की ने सड़ा सा मुंह बना लिया।" लड़की के इस तरह के बदलते हुए भाव देखकर उसके दद्दू हैरान हो गए और समझ गए कि इसे इस बात का बुरा लग गया इसलिए उन्होंने लड़की को अपने पास बुलाया और उसे प्यार से गले लगा लिया। उसके गले लगाते हुए बोले।
"क्या पगली तू भी इतनी बड़ी होकर बच्चों की तरह हरकतें करने लग जाती है , अभी मै कही नही जाने वाला। तुम्हारी वजह से तो मुझे एक नई जिंदगी मिली है, इसे मै ऐसे खोना नही चाहता।" इतना कहने के बाद बुर्जुग व्यक्ति लड़की के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरने लगे।
"अब ठीक है।" वह लड़की इतना बोल कर मुस्कुराने लगी और आगे बोली। "पर आप क्या चाहते है मै क्या करूं? वैसे भी हमारा अच्छा भला रेस्टोरेंट का बिजनेस चल तो रहा है फिर मुझे कुछ करने की क्या जरुरत।" लड़की ने कंफ्यूज होते हुए अपने दद्दू से सवाल पूछा।
"मुझे पता है तुम सब काम बड़े अच्छे से कर लेती हो और बिजनेस को भी बड़े अच्छे से संभाल लोगी। पर बिजनेस से रिलेटेड कुछ चीजों की जनकारी तुम्हें पढ़ने के बाद ही मिलेंगी इसलिए मै चाहता हूं कि तुम एमबीएस में एडमिशन ले लो। एडमिशन नहीं, वो तो मैने पहले ही करा दिया है। तुम यूनिवर्सिटी जाना शुरू कर दो वहां पर तुम्हारे नए दोस्त भी बन जाएंगे।" वह बुर्जुग व्यक्ति उस लड़की को समझते हुए बोले।
"वैसे तो मेरे पास आप हो , पर जब आप कह रहे हो तो मैं यूनिवर्सिटी जरूर चली जाऊंगी। आप को इस मामले में मुझ से ज्यादा नॉलेज है।" इतना कहने के बाद दोनों दादा पोती मुस्कुरा दिए। उस लड़की से थोड़ी देर बात करने के बाद बुर्जुग व्यक्ति वहां से चले गए। बुर्जुग व्यक्ति के वहां से जाने के बाद उस लड़की की नजर रेस्टोरेंट की एक खाने की टेबल पर बैठे हुए एक लड़के पर चली गई। वह लड़का बहुत देर जब से वहां बैठा था उसे ही देख रहा था। पर उस लड़के को यह बिल्कुल भी मालूम नही था कि लड़की उसे बहुत देर से नॉटिस कर रही है। कुछ देर उस लड़की को देखने के बाद वह लड़का अपनी जगह से उठकर बाहर चला गया। उस लड़के को जाते हुए वह लड़की बड़े ही खतरनाक तरीके से देखती रही जब तक वह लड़का उसकी आंखों से ओझल ना हो गया।
इतना कहने के बाद वह लड़की अपनी जगह पर आ कर बैठ गई और खुद से बातें करने लगी।
★★★
बाकि सवालों के जवाब आगे के भागों में मिलेंगे कि लड़की को एमबीए में एडमिशन कैसे मिला? कहानी में कोई भी प्वाइंट बिना लॉजिक के नही है।
धन्यवाद 🙏🏻
To be continued.....
राधिका माधव
02-Jan-2022 07:45 PM
Okay waiting for that...!
Reply